करूँ तो किससे करूँ दर्दे-इश्क का शिकवा,
कि यारों जिन्दगी को इस दर्द ने संवारा है।
करूँ मैं दुश्मनी किससे कोई दुश्मन भी हो अपना,
मुहब्ब्त ने नहीं दिल में जगह छोड़ी अदावत की।
(अदावत - दुश्मनी, शत्रुता)
कि यारों जिन्दगी को इस दर्द ने संवारा है।
करूँ मैं दुश्मनी किससे कोई दुश्मन भी हो अपना,
मुहब्ब्त ने नहीं दिल में जगह छोड़ी अदावत की।
(अदावत - दुश्मनी, शत्रुता)