28 अप्रैल 2012

जनाजा मेरा

जनाजा  मेरा  उठ  रहा  था !
तकलीफ  थी  उनको  आने  में !!
बेवफा  घर  बैठे  पूँछ  रही  थी !!!
और  कितनी  देर  हैं  लेजाने  में !!!!

तरस जाओगे

तरस  जाओगे  महफ़िल  में  वफ़ा  के  लिए !
किसी  से  प्यार  ना कर  बैठना  खुदा  के  लिए !!
जब  लगेगी  इश्क  की  अदालत !!!
तुम  ही  चुने  जाओगे  सजा  के  लिए!!!!

तेरी नज़रों से

तेरी   नज़रों  से  पीने  का  मज़ा  ही  कुछ  और  है !
तुझे  देख  देख के  जीने  का  मज़ा  ही  कुछ  और  है !!
कर  बेवफाई  मेरे  साथ  तू ....हम  शिकवा  नहीं  करेंगे !!!
बस ....तुझसे  वफ़ा  करने  का  मज़ा  ही  कुछ  और  है!!!!

खुदा ने काश

खुदा ने  काश  मोहब्बत  बनायी  ना होती !
तो आज  इस  तरह प्यार  की  रुसवाई  ना  होती !!
काश  उनके  दिल  में  ज़रा  सी  वफ़ा  होती !!!
तो  इस  तरह  मेरे  साथ  बेवफाई  ना  होती !!!!

अब तो ग़म सहने की

अब  तो  ग़म  सहने  की  आदत  सी  हो गयी  है !
रात  को  छुप  छुप  रोने  की  आदत  सी  हो गयी  है !!
तू  बेवफा  है ....खेल  मेरे  दिल  से  जी  भर  के !!!
हमें  तो  अब चोट  खाने  की  आदत  सी  हो गयी  है !!!!

रहा जो दिल में

रहा  जो  दिल  में  धड़कन  बन  कर !
बिछड़ा मुझसे  वो  बेवफा  बन  कर !!
ना उम्मीद  रही  जीने  की  अब  ऐ  दोस्तों !!!
मिली हमें  दवा भी  एक  सज़ा  बन  कर !!!!

दर्द शायरी

आप  बेवफा  होंगे  सोचा  ही  नहीं  था   !
आप भी  कभी  खफा  होंगे  सोचा नहीं  था !!
जो  गीत  लिखे  थे  कभी  प्यार  पर  तेरे !!!
वही  गीत  रुसवा  होंगे  सोचा  ही  नहीं  था !!!!
हमें  अश्कों  से  ज़ख्मों  को  धोना  नहीं  आता !
मिलती  है  ख़ुशी  तो  उसे  खोना  नहीं  आता !!
सह  लेते  हैं  हर  ग़म  मुस्कुराकर !!!
और  लोग  कहते  हैं  हमें  रोना  नहीं  आता !!!!