पी के रात को हम उनको भुलाने लगे !
शराब मे ग़म को मिलाने लगे !!
ये शराब भी बेवफा निकली यारो !!!
नशे मे तो वो और भी याद आने लगे !!!!
नहीं आती, तो याद उनकी महीनों तक नहीं आती !
मगर जब याद आते हैं, तो अक्सर याद आते हैं !!
हक़ीक़त खुल गई हसरत तेरे तर्क-ए-मोहब्बत की !!!
तुझे तो अब वोह पहले से भी बढ कर याद आते हैं !!!!
शराब मे ग़म को मिलाने लगे !!
ये शराब भी बेवफा निकली यारो !!!
नशे मे तो वो और भी याद आने लगे !!!!
नहीं आती, तो याद उनकी महीनों तक नहीं आती !
मगर जब याद आते हैं, तो अक्सर याद आते हैं !!
हक़ीक़त खुल गई हसरत तेरे तर्क-ए-मोहब्बत की !!!
तुझे तो अब वोह पहले से भी बढ कर याद आते हैं !!!!