25 अप्रैल 2012

urdu

इस बार जो ईंधन के लिये कट के गिरा है
चिड़ियों को बड़ा प्यार था उस बूढ़े शज़र से
बरसा भी तो किस दश्त के बेफ़ैज़ बदन पर
इक उम्र मेरे खेत थे जिस अब्र को तरसे

(शज़र = पेड़ ; दश्त = रेगिस्तान ; अब्र = बादल)

कैसे हो ...

झूठी दुआओं मे असर कैसे हो ...
ख्वाबों की दुनिया मे बसर कैसे हो ...

बंट गयी टुकड़ों मे जिंदगी...
अब कोई भी अर्ज़-ए-हुनर कैसे हो ..

सोच सियासत से भरी है यहाँ
आग इधर है जो, उधर कैसे हो ....

उनको है डर ये, जी उठूँगा मैं फिर ...
पूछ ले वो मुझसे, अगर कैसे हो ..

मेरी तरह रोते है हमदम मेरे ...
उजली हुई उनकी, नज़र कैसे हो ...

ख्यालों मे भी ख्याल यही रह गया ..
जिस्म मे ये साँसें 'सिफ़र' कैसे हो ..

दोस्त भी दुश्मन भी पीछे चल पड़े....
इससे हंसी कोई सफ़र कैसे हो ...
मुझे  इश्क  में  दिल  लगाना  नही  आता !
किसी  की  याद  में  आंसू  बहाना  नही  आता !!
हौसला  तो  बहुत  है  मुझमे  किसी  को  चाहने  का !!!
बस  मुझे  इस  हौसले  को  आजमाना  नही  आता !!!!
ना मिटा  सका  उसकी  यादों  को  दिल  से !
इसीलिए  आज  खुद  को  मिटा  रहा  हूँ !!
प्यार  करता  था  में  कितना  उससे !!!
आज  उसको  नहीं  खुदको  बता  रहा हूँ  !!!!
दिल्लगी थी उसे हम से मोहब्बत कब थी
महफ़िल - ऐ -गैर से उन को फुर्सत कब थी
हम थे मोहब्बत मैं लुट जाने के काबिल
उस के वादों में वो हकीक़त कब थी!!!
जिंदगी भर एक सा मौसम नही रहता,
हर समय कोई खुसी या गम नही रहता,
वक़्त की आंधी उडा देती ह सब रंग,
हो कोई बेखुब वो कायम नही रहता,
कुछ भी पाने में बहुत कुछ छूट जाता ह,
उसको खोने का भी डर अब कम नही रहता,
जिनकी धड़कन के बहुत नजदीक रहते ह,
वो ही देखो एक दिन हमदम नही रहता,
शाम होते होते इतना टूट जाते ह हम,
खुद से मिलने का भी दम नही रहता  !!!
मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफ़रत भी तेरी थी,

वो अपनाने और ठुकरने की अदा भी तेरी थी,

मैं अपनी वफ़ा का इंसाफ किस से मांगता ?

वो शहर भी तेरा था और वो अदालत भी तेरी थी |
धरती का गम छुपाने के लिए गगन होता है !
दिल का गम छुपाने के लिए बदन होता है !!
मर के भी छुपाने होंगे गम शायद !!!
इसलिए हर लाश पे कफ़न होता है !!!!
ज़िन्दगी हुस्न है , हर हुस्न की तनवीर अलग
ज़िन्दगी जुर्म है , हर जुर्म की ताज़ीर अलग
ज़िन्दगी नगमा है , हर नगमे की तासीर अलग
ज़िन्दगी फूल है , हर फूल की तकदीर अलग !!!
आज  फिर  उसकी  याद  ने  रुला  दिया  मुझको .
तन्हा  हूँ   आज ये अहसास करा  दिया  मुझको !
दो  अक्षर  लिखने  का  सलीका  न  था  मेरे  पास.
और  उसके  गम  ने  शायर  बना  दिया मुझको !!!
रोये  हैं  बहुत  तब  जरा  करार  मिला  है .
इस  जहां  में  किसे  सच्चा  प्यार  मिला  है !
गुजर  रही  है  जिंदगी  इम्तिहानो के  दौर  से .
इक  ख़तम  हुआ  तो  दूजा  तैयार  मिलता  है !!!


                             WAQT NAHIN