26 अप्रैल 2012
चार दिन की चाँदनी
चार दिन की चाँदनी का मातम क्यों करें !
रातें तो अंधेरों में ही गुलज़ार होती हैं !!!
कौन महसूस करता है
कौन महसूस करता है दर्द किसी का अब!
ग़म में तो अपने भी मुह मोड़ लेते हैं!!!
कहने को
कहने को बहुत कुछ था पर किस लिए कहते ...
उनके दिल तक तो कोई बात हमारी नहीं जाती ...
उर्दू शायरी
वक़्त-ए-रुखसत थी बस उसने इतना कहा ....
चलो !! अलविदा .. अब मुझे भूल जाना ...
शायरी
याद रखना और फिर भुला देना
उसकी आदत सी है यूँ सज़ा देना
मोहब्बत में ऐसी सादगी कहा ??
जो छोड़ जाए उसे भी दुआ देना
किसे मालुम के कौन कहाँ जाएगा
ऐ रब !! बिछड़ने वालों को मिला देना ........
shayari
ना घर ना गाड़ी ना पैसा देखे !
बस मैं जैसा हूँ वो मुझे वैसा देखे !!
बेशक जिए वो खुद की खुशियों को भी !!!
ज़रूरी नहीं मेरी मर्ज़ी हमेशा देखे !!!!
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)