अरबाबे-सितम की
खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी !
दुनिया से कयामत दूर सही दुनिया की कयामत दूर नहीं !! -जिगर मुरादाबादी
1.अरबाबे-सितम - सितम (जुल्म) ढाने
वाला
करूँ तो किससे करूँ दर्दे-इश्क का शिकवा, कियारों जिन्दगी को इस दर्द नेसंवारा है। करूँमैंदुश्मनीकिससेकोईदुश्मनभीहोअपना, मुहब्ब्तनेनहींदिलमेंजगहछोड़ीअदावत की।
रोते रहे तुम भी रोते रहे हम भी !
कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी !!
ना जाने इस ज़माने को हमारे इश्क से क्या दुश्मनी थी !!!
बस समझते रह गए तुम भी और समझते रह गए हम भी !!!!
सभी को सब कुछ नहीं मिलता !
नदी की हर लहर को साहिल नहीं मिलता !!
ये दिल वालों की दुनिया है दोस्त !!!
किसी से दिल नहीं मिलता
तो कोई दिल से नहीं मिलता !!!!