हम कितने बेवफा हैं की एक दम !
हम " उनके दिल से " निकल गये !!
उनमें कितनी वफा थी की आजतक !!!
वो " हमारे दिल से " नहीं गये !!!!
बिखरे थे जो अल्फ़ाज इस कायनात में !
समेंटा है उन्हें चंद पन्नों की किताब में !! अब दुआ नहीं मांगता बस पूंछता हुं खुदा से !!!
अभी कितनी सांसे और हैं हिसाब में..??!!!!
दिल में छिपी यादो से संवारू तुझे ! तू दिखे तो आँखों में उतारू तुझे !!
तेरे नाम को लबो पर ऐसे सजाया है !!! सो भी जाऊ तो ख्वाब में पुकारू तुझे !!!!
उनकी आँखों से काश कोई इशारा तो होता !
कुछ मेरे जीने का सहारा तो होता !!
तोड़ देते हम हर रस्म ज़माने की !!! एक बार ही सही उसने पुकारा तो होता !!!!
बैठे-बैठे गम में गिरफ्तार हो गए !
किसी के प्यार में आबाद हो गए !! दो गज जमीन मिल ही गई मुझ गरीब को !!!
मरने के बाद हम भी जमींदार हो गए !!!!