आती है ऐसे बिछड़े हुए दोस्तों की याद ! जैसे चराग जलते हों रातों को गांव में !!
अब ये भी नहीं
ठीक कि हर दर्द मिटा दें !
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए हैं !! यह इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें !!!
इक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है !!!!
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों
में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।