8 जून 2012
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ