ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी !
मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी !!
उस बुत के सितम सह के दिखा ही दिया हम ने
जो अपनी तबियत में बगावत भी बहुत थी !!!
वाकिफ ही न था रम्ज़-ऐ-मोहब्बत से वो वरना
दिल के लिए थोरी सी इनायत भी बहुत थी !!!!
अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें ! हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें !!
मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी !!
उस बुत के सितम सह के दिखा ही दिया हम ने
जो अपनी तबियत में बगावत भी बहुत थी !!!
वाकिफ ही न था रम्ज़-ऐ-मोहब्बत से वो वरना
दिल के लिए थोरी सी इनायत भी बहुत थी !!!!
अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें ! हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें !!