30 अप्रैल 2012


अपनों की दोस्ती ने सिखाया है यह सबक  !
की गैरों की दोस्ती भी इनायत से कम नहीं !!

-'जोश' मल्सियानी

अरबाबे-सितम की


अरबाबे-सितम की खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी  !
दुनिया से कयामत दूर सही दुनिया की कयामत दूर नहीं  !!

                                                                -जिगर मुरादाबादी


          1.अरबाबे-सितम - सितम (जुल्म) ढाने वाला

कांटों से मुहब्बत


कांटों से  मुहब्बत करते हैं,किरदार तो देखो  फूलों का  !
जख्मों से कलेजा फट जाये, पर साथ निभाना पड़ता है !!

कहीं धब्बा न लग जाये

कहीं धब्बा न लग जाये तेरी बन्दानवाजी पर,
हमें भी देख मुद्दत से तेरी महफिल में रहते हैं।
-आजाद बारानवी

कहते हैं जब


कहते हैं जब रही न मुझमें ताकते-सुखन,
जानूँ किसी के दिल की मैं क्यों कर कहे बगैर।

-मिर्जा गालिब

1.ताकते-सुखन - बात करने की ताकत

कहर हो, बला हो

कहर हो, बला हो, जो कुछ हो !
काश ! तुम मेरे लिये होते !!
मेरी किस्मत में गम गर इतना था !!!
दिल भी या रब कई दिये होते !!!!
                                          
-मिर्जा गालिब

करूँ तो किससे करूँ

करूँ तो किससे करूँ दर्दे-इश्क का शिकवा,
कि  यारों जिन्दगी को इस दर्द ने  संवारा है।
करूँ मैं दुश्मनी किससे कोई दुश्मन भी हो अपना,
मुहब्ब्त ने नहीं दिल में जगह छोड़ी अदावत की।

(अदावत - दुश्मनी, शत्रुता)

वो खफा कब हुए

वो खफा कब हुए कुछ पता ना चला !

हम जुदा  कब हुए कुछ पता ना चला !!

हम तो वाकिफ थे उनके अंदाज से !!!

पर बेवफा कब हुए वो पता ना चला !!!!

शीशे का ये दिल

शीशे  का  ये  दिल  टूट  रहा  था  !
हम  उन्हें  ना  ढूंढते  तो  क्या  करते !!
एहसास  हुआ  जब  हमें  उनसे  दूर  होने  का !!!
हम  रो  कर  अपनी  आँख  ना सुजाते  तो  क्या  करते !!!!

रोते रहे तुम

रोते  रहे  तुम  भी  रोते  रहे  हम  भी  !
कहते  रहे  तुम  भी  और  कहते  रहे  हम  भी  !!
ना  जाने  इस  ज़माने  को   हमारे  इश्क  से  क्या  दुश्मनी  थी  !!!
बस  समझते  रह  गए  तुम  भी  और  समझते  रह  गए  हम  भी !!!!

तुम हसीन हो

तुम  हसीन  हो  गुलाब  जैसी  हो !
बहुत  नाज़ुक  हो  ख़्वाब   जैसी  हो !!
दिल  की  धड़कन  में  आग  लगाती  हो !!!
होठों  से  लगाकर  पी  जाएँ   तुम्हे ,
सर  से  पाँव  तक  शराब  जैसी  हो !!!!

सभी को सब

सभी को सब कुछ नहीं मिलता !
नदी की हर लहर को साहिल नहीं मिलता !!
ये दिल वालों की दुनिया है दोस्त !!!
किसी से दिल नहीं मिलता तो कोई दिल से नहीं मिलता !!!!

साकी बस तू

साकी बस तू इतना सा काम -कर !
ये सारे इलज़ाम मेरे नाम -कर  !!
1-2 पैमाने से मेरा क्या होगा !!!
सारा मैखाना मेरे नाम -कर !!!!

28 अप्रैल 2012

जनाजा मेरा

जनाजा  मेरा  उठ  रहा  था !
तकलीफ  थी  उनको  आने  में !!
बेवफा  घर  बैठे  पूँछ  रही  थी !!!
और  कितनी  देर  हैं  लेजाने  में !!!!

तरस जाओगे

तरस  जाओगे  महफ़िल  में  वफ़ा  के  लिए !
किसी  से  प्यार  ना कर  बैठना  खुदा  के  लिए !!
जब  लगेगी  इश्क  की  अदालत !!!
तुम  ही  चुने  जाओगे  सजा  के  लिए!!!!

तेरी नज़रों से

तेरी   नज़रों  से  पीने  का  मज़ा  ही  कुछ  और  है !
तुझे  देख  देख के  जीने  का  मज़ा  ही  कुछ  और  है !!
कर  बेवफाई  मेरे  साथ  तू ....हम  शिकवा  नहीं  करेंगे !!!
बस ....तुझसे  वफ़ा  करने  का  मज़ा  ही  कुछ  और  है!!!!

खुदा ने काश

खुदा ने  काश  मोहब्बत  बनायी  ना होती !
तो आज  इस  तरह प्यार  की  रुसवाई  ना  होती !!
काश  उनके  दिल  में  ज़रा  सी  वफ़ा  होती !!!
तो  इस  तरह  मेरे  साथ  बेवफाई  ना  होती !!!!

अब तो ग़म सहने की

अब  तो  ग़म  सहने  की  आदत  सी  हो गयी  है !
रात  को  छुप  छुप  रोने  की  आदत  सी  हो गयी  है !!
तू  बेवफा  है ....खेल  मेरे  दिल  से  जी  भर  के !!!
हमें  तो  अब चोट  खाने  की  आदत  सी  हो गयी  है !!!!

रहा जो दिल में

रहा  जो  दिल  में  धड़कन  बन  कर !
बिछड़ा मुझसे  वो  बेवफा  बन  कर !!
ना उम्मीद  रही  जीने  की  अब  ऐ  दोस्तों !!!
मिली हमें  दवा भी  एक  सज़ा  बन  कर !!!!

दर्द शायरी

आप  बेवफा  होंगे  सोचा  ही  नहीं  था   !
आप भी  कभी  खफा  होंगे  सोचा नहीं  था !!
जो  गीत  लिखे  थे  कभी  प्यार  पर  तेरे !!!
वही  गीत  रुसवा  होंगे  सोचा  ही  नहीं  था !!!!
हमें  अश्कों  से  ज़ख्मों  को  धोना  नहीं  आता !
मिलती  है  ख़ुशी  तो  उसे  खोना  नहीं  आता !!
सह  लेते  हैं  हर  ग़म  मुस्कुराकर !!!
और  लोग  कहते  हैं  हमें  रोना  नहीं  आता !!!!

26 अप्रैल 2012

चार दिन की चाँदनी

चार दिन की चाँदनी का मातम क्यों करें !
  रातें तो अंधेरों में ही गुलज़ार होती हैं   !!!

कौन महसूस करता है

कौन महसूस करता है दर्द किसी का अब!
  ग़म में तो अपने भी मुह मोड़ लेते हैं!!!

कहने को

कहने  को  बहुत  कुछ  था  पर  किस  लिए  कहते ...
उनके  दिल  तक  तो  कोई  बात  हमारी  नहीं  जाती ...

उर्दू शायरी

वक़्त-ए-रुखसत  थी  बस  उसने  इतना  कहा ....
   चलो !! अलविदा .. अब  मुझे  भूल  जाना ...

शायरी

याद  रखना  और  फिर  भुला  देना
उसकी  आदत  सी  है  यूँ  सज़ा  देना

मोहब्बत  में  ऐसी  सादगी  कहा ??
जो  छोड़  जाए  उसे  भी  दुआ  देना

किसे  मालुम  के  कौन  कहाँ  जाएगा 

ऐ  रब  !! बिछड़ने   वालों  को  मिला  देना  ........

shayari

ना  घर  ना  गाड़ी  ना पैसा  देखे !
                बस मैं जैसा हूँ वो मुझे वैसा देखे !!

बेशक जिए वो खुद की खुशियों को भी !!!
               ज़रूरी नहीं मेरी मर्ज़ी हमेशा  देखे !!!!

25 अप्रैल 2012

urdu

इस बार जो ईंधन के लिये कट के गिरा है
चिड़ियों को बड़ा प्यार था उस बूढ़े शज़र से
बरसा भी तो किस दश्त के बेफ़ैज़ बदन पर
इक उम्र मेरे खेत थे जिस अब्र को तरसे

(शज़र = पेड़ ; दश्त = रेगिस्तान ; अब्र = बादल)

कैसे हो ...

झूठी दुआओं मे असर कैसे हो ...
ख्वाबों की दुनिया मे बसर कैसे हो ...

बंट गयी टुकड़ों मे जिंदगी...
अब कोई भी अर्ज़-ए-हुनर कैसे हो ..

सोच सियासत से भरी है यहाँ
आग इधर है जो, उधर कैसे हो ....

उनको है डर ये, जी उठूँगा मैं फिर ...
पूछ ले वो मुझसे, अगर कैसे हो ..

मेरी तरह रोते है हमदम मेरे ...
उजली हुई उनकी, नज़र कैसे हो ...

ख्यालों मे भी ख्याल यही रह गया ..
जिस्म मे ये साँसें 'सिफ़र' कैसे हो ..

दोस्त भी दुश्मन भी पीछे चल पड़े....
इससे हंसी कोई सफ़र कैसे हो ...
मुझे  इश्क  में  दिल  लगाना  नही  आता !
किसी  की  याद  में  आंसू  बहाना  नही  आता !!
हौसला  तो  बहुत  है  मुझमे  किसी  को  चाहने  का !!!
बस  मुझे  इस  हौसले  को  आजमाना  नही  आता !!!!
ना मिटा  सका  उसकी  यादों  को  दिल  से !
इसीलिए  आज  खुद  को  मिटा  रहा  हूँ !!
प्यार  करता  था  में  कितना  उससे !!!
आज  उसको  नहीं  खुदको  बता  रहा हूँ  !!!!
दिल्लगी थी उसे हम से मोहब्बत कब थी
महफ़िल - ऐ -गैर से उन को फुर्सत कब थी
हम थे मोहब्बत मैं लुट जाने के काबिल
उस के वादों में वो हकीक़त कब थी!!!
जिंदगी भर एक सा मौसम नही रहता,
हर समय कोई खुसी या गम नही रहता,
वक़्त की आंधी उडा देती ह सब रंग,
हो कोई बेखुब वो कायम नही रहता,
कुछ भी पाने में बहुत कुछ छूट जाता ह,
उसको खोने का भी डर अब कम नही रहता,
जिनकी धड़कन के बहुत नजदीक रहते ह,
वो ही देखो एक दिन हमदम नही रहता,
शाम होते होते इतना टूट जाते ह हम,
खुद से मिलने का भी दम नही रहता  !!!
मोहब्बत भी तेरी थी, वो नफ़रत भी तेरी थी,

वो अपनाने और ठुकरने की अदा भी तेरी थी,

मैं अपनी वफ़ा का इंसाफ किस से मांगता ?

वो शहर भी तेरा था और वो अदालत भी तेरी थी |
धरती का गम छुपाने के लिए गगन होता है !
दिल का गम छुपाने के लिए बदन होता है !!
मर के भी छुपाने होंगे गम शायद !!!
इसलिए हर लाश पे कफ़न होता है !!!!
ज़िन्दगी हुस्न है , हर हुस्न की तनवीर अलग
ज़िन्दगी जुर्म है , हर जुर्म की ताज़ीर अलग
ज़िन्दगी नगमा है , हर नगमे की तासीर अलग
ज़िन्दगी फूल है , हर फूल की तकदीर अलग !!!
आज  फिर  उसकी  याद  ने  रुला  दिया  मुझको .
तन्हा  हूँ   आज ये अहसास करा  दिया  मुझको !
दो  अक्षर  लिखने  का  सलीका  न  था  मेरे  पास.
और  उसके  गम  ने  शायर  बना  दिया मुझको !!!
रोये  हैं  बहुत  तब  जरा  करार  मिला  है .
इस  जहां  में  किसे  सच्चा  प्यार  मिला  है !
गुजर  रही  है  जिंदगी  इम्तिहानो के  दौर  से .
इक  ख़तम  हुआ  तो  दूजा  तैयार  मिलता  है !!!


                             WAQT NAHIN